Monday, March 25, 2013


हम पलक पाँखि में पोसि रहल छी
बीतल युगक नीरव इतिहास !
नयन-पथ सं सांस में मिलि
शिखी चुनैत जलजात रहल
'आह ' सं निकलि 'चाह' में खिली
टूटल आस-पारिजात रहल !

चंचल सपना पुलक भरल

स्पंदन चिर व्यथा केर
सुधि सं सुरभित स्नेह घुलल
आखर तितल हमर कथाक !
नयन में अनगिन चुम्बन
सजग स्मिति रहल उन्मद
सांस में सुरभि, वेदनक क्षण
चातकी सन तकैत प्रिये -पद !

आय तं सब सांस में भरल
मरण त्योहारक निस्सीम जय
मौन में प्रानक तार टूटल
निसांस भेल पिआस में लय
गहन तम-सिन्धु में उमड़ल
अधर पर अंगारक हास
बीतल युगक नीरव इतिहास....

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