Monday, March 25, 2013


चलू,  परछाहींक पार   हम घूमी   आबि
लिखल   जे  सांसक  गाथा
मौनक भाषा में  ओकरे  हम गुनगुनाबी......
दर्द  प्राण में  अहाँक  स्मृतिक
विलाखि  विलाखि   छटपटा  रहल
आहत  गीत  उमड़ी   उमड़ी
बैसी अधर   पर कुहैरी   रहल  !
साँझक  दम  तोडैत  बेला 
चैती  बयारक  कम्पन 
चाँदनी   बैसि   
हमर अहाँक
लिखि  रहल   ओ भाषा
जे नहि  कहि सक्लों   हम अहांके
नहि  कहि सक्लों  अहाँ हमरा ...
चलू
तखन  इजोरिया  स 
अपन  अहाँक  मौन  गाथा
पुछि   आबि
मौनक   भाषा में  ओकरे हम गुनगुनाबी ............

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