Sunday, September 30, 2012


प्रेम और विश्वास से भरे रिश्ते बड़े ही नाज़ुक होते है, टूटते हैं 
फिर जुटते हैं तो एक पलस्तर लगे हुए..
रिश्ते निभाते कभी रास्ते बदल जाते हैं फिर रास्ते पे चलते कोई गैर
क्यों अपने से हो जाते हैं 
धड़कने कभी अपनों की दिल में रहती थी पर 
हर कोई क्यों कभी पत्थर से हो जाते हैं 

Wednesday, September 26, 2012


जिंदगी ले आई है किस मोड़ पे मुझे 
दिल हँसता है पर हंसने की आदत नही 
आपको देखा आपको समझा 
कहीं ये ही खुदा की इबादत तो नही 
जेहन मे घुमती है तस्सुवारत आपकी 
कहीं आपकी भी ये हालत तो नही ....
होठ कुछ कहना चाहते पर कांप के रह जाते
आप समझ लेना इसे मेरी आदत नही 
साथ आपका कुछ नही बस अपने को भूलना है
क्या ताजिंदगी की मेरी ये दौलत नही....

Saturday, September 22, 2012

MAAAAAAAAAA


पता नही कौन  सी चीज ये उम्र होती है ! उम्र की सांध्य बेला में मै जहाँ डूबने की प्रतीक्षा कर रही हूँ, वहीँ मेरा मन मुझे वापस सपनो की दुनिया में ले जाता है, जहाँ मै अल्हड किशोरी की तरह खिलखिलाती रहती थी, हर बात पे ठहाका, हर बात का जबाब शेरो शायरी में हर किसी को. बिना डायलोग के जबाब ही नही देती थी..वो भी क्या दिन थे..मेरे आगे मेरे बच्चे,उनके बच्चे सभी खिलखिलाते रहते हैं, पर मै हूँ की उनके साथ रह कर भी अलग रहती हूँ, भीड़ के बीच भी अकेली..जब भी कोई गाना देता है बीते समय का,मेरी आँखों से आंसुओं की धार अपने आप बहती रहती है..मै उन गानों के साथ जीती रहती हूँ, मेरा वक़्त जैसे ठहर  गया है , मै बड़ी हो ही नही पा रही हूँ उन दिनों की याद में, पुराने गानों को सुनते कलेजे में मीठी सी कसक होने लगती है. दुःख में भी सुख़ की अनुभूति, रंगोली मेरा प्रिय प्रोग्राम है जब पुराने गानों को देता है..कितनी बच्ची मै हो जाती हूँ, पर अपने आंसुओं को मै सब से छुपा लेती हूँ, जानती हूँ बच्चे मन ही मन जानते रहते हैं. पर मै उनके सामने कमजोर नही दिखना चाहती हूँ..मेरे इस दर्द को वही समझ पायेगा जो उम्र नही ह्रदय के साथ जीता होगा. और मै माँ के सामने प्रार्थना करने लगती हूँ-माँ मुझे भी बुला ले माँ.................. 

Saturday, September 15, 2012

TUM KAHAAAAAAAAAN

pyar pr bas to nhi hai-------

tumhare isi gane pr mai jnm jnm ke bandhan me bandh gayi..jb bhi ye gana sunti hun..yun lagta hai ..tum sakar ga rahe ho...........KAHAN HO.......??????????????

Tuesday, September 11, 2012

ANDHIYARI RAJANI

मै तो थी  अंधियारी   रजनी 
कितनी लौ  जला दी तुम ने 
जिसे निकट से देख ना पाती 
उर अंतर मन से पहचाना 
दूर कहीं है 
जिसको मैंने प्राणों का संगीत है माना 
मै तो फली फूली फुलवारी थी 
कितनी पतझार उठा दी तुम ने 

निज पीड़ा में घुल घुल 
कुछ कथा कहानी लिखती थी 
अनचाहे अनजाने आंसू से 
अंतर का कोना रंगती थी 
मै तो थी शान्त नदी की धारा
कितनी उर्मि उठा दी तुमने 

क्यों कर भूलूं तुझे जन्म भर 
सुधि की बेसुध छांवों में 
बिछुडन का ले दर्द उम्र भर 
भटकूँ सपनो के गावों  में
मै तो थी बिरवा तुलसी की 
कितनी 
जोत जला दी तुमने ....... 

Saturday, September 8, 2012

HM N HONGE


खिलते रहेंगे हरसिंगार यूँही
एक हम न होंगे 
तो क्या होगा 
सितारे कितने आसमान मे हैं 
टूट कर यूँही गिरते रहेंगे 
कोंन जान पाता है कब 
कहाँ कौन टूटा..

तुम टूटने न देना मुझे 
सब्र का पैमाना है छलक रहा 
भगवन क्या कम हैं कि
आदमी को आदमी है रुला रहा 

तकदीर के आगे बस चलता नही किसी का 
क्यों फिर कंकर मार किसी को जला रहा ????/






Tuesday, September 4, 2012

KAL AUR AAJ

Mai har gayi...KAL KYA THI ..AAJ......?
Tumhare sath beete pal lgta  hai morning walk me hm mile hon kbhi...
zindagi tumne mujhe haraa diya..mout aati to khush ho jati. kintu, na  mout aayi na vishale sanam..
Aaj 1 mahine se upar ho gaye bed pr parhe hue ..
kisko sunaun dastan , kisko dikhaun dil ka dag....jaun kahan ki dur tk jalta nhi koi chirag....ab aur nhi saha jata..bhado ke aakash ( jo delhi ) me  hai, aankhen bhari bhari rahti hai, kabhi baras jati hai to kabhi sukhi sukhi.....Tut gyi  mnn vina meri ..ab aansu bhi sukh gaye hain hansi gayi hai ruthh...anguthhi  suni hogayi , khoya aaj ngina ......
bachpn me ye geet mai harmonium pr gaya krti thi ..tum chale gaye chhorh kr fir maine jeena sikha..pen ke sahare tumhare diye pain ko mai kagaz ke sine pr utarti rahi...
kintu aaj vo bhi nhi..mere hothhon ki muskan dekh sb khush ho jate, pr is muskan ke pichhe  dard ko.......
kitne programms mere the Sep. me , pr ye DRS ?? inhe dil dekhna nhi aata, mn ke taron ki jhankriti samjh nhi pate..
KAASH...KOI HOTA IS JAHAN ME MERA APNA..........

HM HARI GELON.......


नै हंसी , नहि मुस्कान एत
लिय  हम हारि  गेलों
आब हम किछ नै
बाट पर पडल  बोउल  जकां छी
कुच्लैत  क्च्लैत   लोग चलि जायत
हमर सांस आब नै कुहरत
आब नै भटकत  
हम पाथर   छी
सबटा चोट , सब मौसम कें सहैत
वर्षा-आतपक  बुन्न  सहैत
हमर आत्माक  आह आब नै पहुँचत
अहाँ धरि
हम
एकटा दीपशिखा  छी
निष्कम्प , निर्वात
जरैत रहब  मुदा
इजोत  नहि द  पायब
आलोक लोक  नहि सजा पायब
तं हे हमर अप्पन !
अहुँ  हमरा छोड़ी  दिय  -----
बाट क धुरि, पाथर  सँ
प्रकाशहीन दीपशिखा  सँ 
अपन सांसक   सरगम  कें
मरघट में की बदलनाय  
अपन जिनगीक बेचैनीक
बिना कारने  ओहि कामना क गर
की घोंटनाइ ....................
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JINGI...


जिनगी  एकटा  नागिन जकां अछ
मारैत नै  अछ, काटैत  नै अछ
डंसी  डंसी
सांस  के हवा  दैत अछ
विष   पिआय  पिआय 
मृत्यु  तक पहुँचावैत अछ
मुदा,
दोष नै ते हमर अछ
नै ते अहाँक
ओ अदृश्य  उपरवला
हमरा तोरा  बना  बना 
सिरजि  सिरजि  
तपैत  चट्टान पर फेकी दैत अछ 
जीविते  मारैत  रहैत अछ..
हम छी कि 
कुहरियो  नै सकैत  छी  
सिकायतो  नै क सकैत  छी  .................. 

Sunday, September 2, 2012

brahm se brahm...


ये दिल की बात  है !
दूरियां नहीं 
नजदीकियां नहीं 
बस 
दिल से दिल तक पहुँचने की आवाज़ है 
ना उम्र की सीमा है
ना रिश्तों की दीवार है 
न मिलने की 
ना मिलने की कोई बात है 
ये तो बस दिल से दिल की बात है 
यहाँ दिल मिलते हैं 
आदमी नहीं 
शब्द मिलते हैं ,तन्हाईयाँ नहीं 
शब्द ब्रह्म है तो ये 
ब्रह्म से ब्रह्म तक पहुचने का अद्भुद अंदाज़ है,,,