Saturday, September 8, 2012

HM N HONGE


खिलते रहेंगे हरसिंगार यूँही
एक हम न होंगे 
तो क्या होगा 
सितारे कितने आसमान मे हैं 
टूट कर यूँही गिरते रहेंगे 
कोंन जान पाता है कब 
कहाँ कौन टूटा..

तुम टूटने न देना मुझे 
सब्र का पैमाना है छलक रहा 
भगवन क्या कम हैं कि
आदमी को आदमी है रुला रहा 

तकदीर के आगे बस चलता नही किसी का 
क्यों फिर कंकर मार किसी को जला रहा ????/






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