Sunday, December 2, 2012

DR. RAJENDRA PRASAD


 राजेन्द्र प्रसाद--अमर रहैथ 

आय बटवृक्ष क मधुर छाहिर कत'
दनुजता क लंका में अंगदक
अटल पैर कत' ?
काल पंथ पर चलि गेलाह जे
सिनेह हुनक
सरसावैत अछि 
मोन प्रानक भ्रमित दिशा के
बाट वैय्ह  देखाबैत छैथ
चिर मंगलमय छल लक्ष्य महान
जीवन एक ,पग एक समान !
स्निग्ध अपन जीवन कय क्षार 
करैत रहलाह  आलोक प्रसार 
श्रृष्टि क इ अमिट विधान 
मिटबा  में  सय वरदान ...
सुनी हुनक  हुंकार 
नव यौवन बल  पावैत छल 
माथ पर बाँधी कफ़न  
कर्मक्षेत्र में आबि अत्याचार
मेटाबैत छल
हुनक सहस देखि देखि
तरुण सिंह लजावैत छल !
आय
मानवता क धवल आकास कत'
मानव एक  मानवता  गुण ,
बतवै वाला  धाम  कत'
अय विश्व  !
अहीं बताबु
जीरादेई    सन   गाम   कत'       ???

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