Thursday, September 19, 2013

अपना चेहरा

परछाइयों को पकड़ने की आदत कुछ इस कदर हो गयी है मुझे
देखती हूँ दर्पण में चेहरा अपना 
परछाहीं तेरी ही मेरे अक्सों में उभर आती है ..
अपना चेहरा भी प्यारा लगने लगता है मुझे ...

4 comments:

  1. वाह! बहुत सुन्दर...

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    1. kailash g
      zindgi zindgi...................
      dhanywad....

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  2. बहुत खूब ... परछाइयां कभी कभी जीवन बन जाती हैं ...

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    1. thanx ! iss kadar bitte hain zindgi ke din ai dost......

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