.सागरक शांत लहरि देखी
किछ किछ होयत अछ मोन में
की सरिपों नुकायल अछ सुनामी
एकर अंतर में ??
कखनो कोसी क हुँकार
कखनो गंगाक आर्तनाद .......
हिमालयक चंचला बेटी सब
सागरक छाती सँ लागि जायत अछ
मुदा,
कोन वेदना सागरक सुनामी बनि
जायत अछ ..
मोन होयत अछ
चीरी दी एहि रहस्य के
देखि ली सागरक छाती में बैसल
उपास्य के
किएक बेकल अछ पल पल
प्रतिपल
नै मेटैत अछ तरास जकर
की अकास स मिलवाक आस एकर..
आतुर अधीर
की व्यर्थहि रहल एकर पीर
नहि ते केकरो पिआस मेटा पवैत अछ
नहि ते स्वयम अपन तरास
बुझि पवैत अछ
युग युग सँ तटक निर्मम रेत कें
भिजावैत अछ
मुदा, किनार ओहिना निर्विकार
निर्लेप रही जायत अछ
की ई नियति प्रकृतिक थीक
पुरुष अपना के किनार बना लैत छैक
भिजैत अछ, तितैत अछ
किछ बाजि नहि पवैत अछ
जीवनक अर्थ खोजिते रहि जायत छैक........................... ..
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