कोरे कागज़ की तरह होते हैं जीवन
जो चाहो लिख दो तुम
मै तो क्या कोई कुछ भी न बोलेगा
बोलना चाहे तब भी नही
कलम तुम्हारे हाथ है
जो चाहो लिख दो तुम
लिखने की आज़ादी सब को है
बोलने की भी आज़ादी सब को है
लिखो बोलो तेरा अपना मन है .. हाँ मन ??
लिखने से पहले , बोलने से पहले
क्या अपना मन ही तुम्हे नही टीसता होगा ??
कागज के सीने से चीख क्या नही
उठती होगी >>???
Kore kagaz ki tarah hote hain jivan
Jo chaho likh do tum
Mai to kya koi kuchh bhi na bolega
Bolna chahe tb bhi nhi
Kalam tumhare hath hai
Jo chaho likh do tum
Likhne ki azadi sb ko hai
Bolne ki bhi azadi sb ko hai
Likho bolo tera apna mnn hai .. han mnn ??
Likhne se pahle bolne se pahle
Kya apna mnn hi tumhe nhi tistaa hoga ?
Kagaz ke sine se chikhen kya nhi uthhati hongi ...???
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeletebahut dhanyawad kailash....
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