Monday, March 25, 2013


हमरा मोन पडैत ऐछ अपन घर
जे एकटा मंदिर छल
सरस्वतीक   वास  सन
लक्ष्मी क हास  सन
मंगलमय वरदान सन ..............
दिसा दिसा सँ मधुर रागिनी अवैत छल
सरगम क ध्वनि गवैत छल
प्रेम प्रीति स भरल 
जीवन क गीत स साजल 
ओ हमर घर छल. 
पावैन तिहार क रंग स 
जितिया पावैन बड भारी--उगाह चान कि 
लपकों पुआ क नाद स ;अपन आनक 
उलहन-उल्लास स 
भंगक तरंग सन छल ओ जीवन .....
आय विस्थापित जकां एहि महानगर में 
भटकि रहल छी....
अपन आन लेल तरसि रहल छी  ...
सौनसे शहर देवार स पाटल ऐछ
रहवाला क्यों  नही 
उजहिया जकां लोग भागि रहल ऐछ 
लालसा लिप्साक व्यामोह में 
नहि जानि  कथीक छोह  में 
घर मात्र शरण लेवाक स्थान भ गेल 
एकटा अल्प विराम  बनि  गेल..नहि हास  नै
विलास एते , नै उन्मुक्त जीवनक आस एते
घरबनैत अछ प्यार स दुलारस
हंसी स मजाक स , मुदा,
ईंट, पाथर,सीमेंट घरे नै मानवक ह्रदय पर 
प्लास्टर चढ़ा गेल 
प्यार ,ममता, आदर सब भाव प्लास्टर क 
नीचा दबा गेल 
मर घर कते हेरा
 गेल....

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