अहाँ ठीके बजने छलों
सपनाक गीत
जागल में नै गुनगुनाबी
इजोरियाक सिह्क्ब स कम्पित
नहि भ जाऊ
सिंगरहारि बसात में मोन के नहि
भट्काबी......
सपनाक ई गीत जिनगीक रौद में खंड खंड
भ जायत
इजोरियाक सिहरब नागफनीक
काँट जकां समस्त तन के
लहुलहुआन क' देत
सिंगारहारि बसात सँ
उपेक्षा क झोंक आबि जायत अछि
अहाँ संसार छी
जिनगी छी
हम सांस छी
स्वर्णिम किरण क आस छी..............
ahan saripon swarnim kirank aas chhi..hmr sabhk madhur vishwas chhi......
ReplyDeletepyar aashish ashesh.....
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