Tuesday, June 19, 2012

आखिर तुमने पाल क्यों रखे इतने सपने ?
दिशाहारा ,कम्पित हवाओं का यह प्रकम्पन 
रेत की बनती दीवारें 
बालुओं पर लिखे ये आंसू गीत 
क़र्ज़ धरा पर चढ़ा जाओगे क्या अपने ..?
मौन का संगीत कभी तुमने सहा है..
कभी झेला है...शिथिल पत्रांक पर पड़े 
ओस विन्दु से नयन 
अधरों के पाटल पर लेटी उदासी 
रोम रोम से कम्पन की झेलती सर्वांग 
की अंतर्धारा  को तुमने समझा है ...............? ? ?


Akhir tumne pal kyon rakhe itne sapne ?
Dishahara , kampit hawaon ka ye prakampan
Ret ki banti deewaren 
Baluon pr likhe ye aansu geet 
Karj dhara par chadha jaoge kya apne ?
Moun ka sangeet kabhi tumne saha hai 
Kabhi jhela hai ..Shithil  ptrank par parhe 
Os bindu  se nayan 
Adhron ke patal par leti udasi 
Rom rom se kampan ki jhelati saewang 
Ki antardhara ko tumne samjha hai......??????????

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