- Aaj mai kuchh soch rahi thi..tanya home work me lgi thi ..boli kitna achchha hai dadi ma aapko padhna nahi padta hai, comp. pr kam karti hain koi rokta nhi hai, kahi stage pr jakr jakhn jakhn takhn takhn bol deti hai, wah wahi lut leti hai, bouquet leti hain, muskurate hue sab ko dekh dekh pranam karti hain, idhr samman udhar samman, hawai jahaj se udati rahti hai...kitna achchha life apka hai....mai bhi nhi padhungi. apki hi tarah banugi......\\ sara din meri acting karti rahti hai. ek pal bhi meri palkon ko nm nhi dekhna chahti hai.....
maine hans kar kaha beta, mujhe bhi bahut bahut padhna parha hai, tum to 6th me ho pr mujhe 19-20 class tk padhna parha hai tab aaj ...........to aap ab meri umr ki bn jaiye mai school nhi jaungi..aap jao....sochne lgi ye bachche jiwan ko kitne halke se lete hain, baad me inhe kin kin raston se chalne parhte hain .....hansi aa gayi..
mnn me aaya aap sab se bhi share karun..........
Set apart from this world full of strife, I have another world of mine where I am Shefali , a young girl full of love n life . Sometimes I feel the real world is too cruel n unjust for me , so I prefer to live in my own world filled with love n affection . Mai chhipana janta to jag mujhe sadhu samjhta Shatru aaj bn gaya chhal rahit vywhaar mera ....
Saturday, June 30, 2012
Thursday, June 28, 2012
YOUR LOVE
pale but bright
painful but hopeful
A new sunshine will come again
I m not lost
but gaining something
everything
And
In the morning next
When I began to wake It happened again
That u Beloved !
Stood over me all night
Keeping watch ..that feeling
That as soon as I began to stir
You put your lips on my forehead
And lit a holy lamp inside my heart........
Tuesday, June 26, 2012
अब मै नाच्यो बहुत गोपाल
(मन की दुनिया )
आखिर कब तक ,कब तक आखिर तुम कौन हो ? क्यों आ आ कर मुझे तडपा जाते ? तुम्हे देखने के लिए कितनी बेकल हो उठी हूँ मै. कितनी छटपटा रही हूँ मै. ओ अदृश्य ! अब नही सहा जाता
कब तक यूँही भटकती रहूंगी , हर चेहरे में तुम्हारा चेहरा, हर छवि में तेरी छवि , हर स्वर में तेरा स्वर मुझे भरमा जाता है ऐसा एहसास वो तुम हो ..वो तुम हो..दौड़ जाती हूँ , एक मृगतृष्णा के पीछे...परछाही के पीछे भागती , दौडती.....
कोई भी दर्द भरा गीत गता है, कोई भी धुन कहीं से आती है लगता है तुम मुझे पुकार रहे हो पुकार रहे हो, मै विक्षिप्त हो जाती हूँ...मेरे जीवन की उषा बेला में भी ये ही पुकार मुझे छटपटा जाती थी..आज सांध्य बेला में भी...तुम कौन हो ..तुम कौन हो ??ए
चारो ओर रज़त चांदनी की तरह पानी का जाल बिछा हुआ है...घास सेवार पानी की लहरों पर , हवा के झोंको के साथ अंगेठी लेते थिरक रहे हैं. . जलघास के हिलते डुलते पत्ते जैसे मुझे बुलाने के तेरे संकेत ही ना हो जलघासों के बीच पानी में तैरती एक छोटी सी चिड़िया किनारे की तलाश में कभी सेवारों से बिंध जाती है तो कभी करमी लत्ती में उलझ जाती है. ...वो भी मेरी तरह ही किसी की तलाश में है, कितनी मजबूर ,कितनी दयनीय स्थिति है उसकी...कभी कभी एक एहसास होता है तुम मेरे बालों से खेलते निकल जाते हो ....'ऐसा लगता है किसी ढीठ झकोरों की तरह , खेल आयी है तेरे उलझे हुए बालों से....' तुम्हारे स्पर्श की अनुभूति में डूब डूब जाती हूँ , अधरों पर एक स्वर्गिक मुस्कान खेल जाती है , चेहरा अलौकिक आभा से उद्भासित हो जाता है..आँखें मूंद कितनी देर तक मै तुम्हारे सामीप्य की अनुभूति में डूबी रहती हूँ...और फिर सपना टूट जाता है , दुनिया मुझे अपनी निर्मम बाँहों में खींच लेती है....तुम कहीं नहीं ..कहीं नही...तुम मुझे छोड़ भी नही पाते, मै तुम्हे भूलना चाह कर भी भूल नही पाती , ये कैसे बंधन हैं, ये कैसे रिश्ते हैं..क्या सात जन्म इसी को कहते हैं..
एक दिन तुमने मेरी हथेलियों को चूमते हुए कहा था --लो मैंने तेरी हथेलियों को विश्वास से भर दिया है . तुम मेरा विश्वास करती रहना , ये हाथ अब अबल नही, बेजान नही . इसमें मेरे विश्वास
का नन्हा पौधा लगा है ..मै हर वक़्त तुम्हारे साथ हूँ , हर पल हँ-- तुम यूँही विश्वास और प्यार दुनिया को बांटती रहना..
मेरी हथेलियाँ ही नही मै पूरी की पूरी तुम्हारे विश्वास से भर उठी थी. सारा तन तेरे प्राण से अनुप्राणित हो उठा था , कैसी विडंबना थी मेरी भी ..नियति का अपना भी तो कुछ रंग होता है..तुम चले गए अपना विश्वास मुझे सौंप कर ..तुम फिर अदृश्य हो गए मेरी साँस बन कर ..आज लगता है की वो सपना था या सत्य ?? पर मेरी हथेलियों में लगे विश्वास का वो पौधा , मेरे आंसुओं से सिंचित हो आज विशाल वटवृक्ष बन गया है ..उसे कोई भी शक्ति उखाड़ नही सकती ..खुद तुम भी नही..पर मेरी आत्मा भटक रही है, मै थक गयी हूँ, दुनिया के सुरतालको मै समझ नही पाती हूँ , संगत बिठाते बिठाते हताश निराश हो उठती हूँ कभी कभी ..तुमने भी तो नही सिखाया और छोड़ गए मझधार में....................
तुम हो कहाँ..भटकती हवाओं का संस्पर्श तो पाती हूँ , पर तुम्हारी तरह ही अदृश्य ..इन मेघमालाओं में विचरने की पहचान तो मुझ में अंकित है ही पर वे भी तुम्हारी तरह दूर मुझसे काफी दूर...दुःख मेरा जीवन साथी बन गया है, नही , शायद मैंने दुःख को अपना लिया है, नही नही दुःख ने ही मुझे अपना लिया है.. पता नही किसने किसको अपनाया है , पर वो मेरा प्रियतम बन बैठा ,वो मेरी मुस्कान है , शायद इसीलिए तुम्हारी तलाश अभी भी जारी है ...तुम्हारी तलाश में दर्द ने मेरा साथ दिया , दुःख ने मेरा हाथ पकड़ा और मै तुम्हे खोजती रही ..पगले, ये कैसा अपनापन है , कैसी बेकली है....तुम्हे पता भी नही..तुम्हारी तलाश मेरी पूजा है , मेरा ध्यान है धर्म है....उस दिन स्कोट्लैंड में विचरती लगा अरे इन पहाड़ियों के बीच तुम छिपे हो..मै नगें पैरों ..........
.क्रमश; ---- ( मैथिली से )
Wednesday, June 20, 2012
BAHUT DINO BAAD
बहुत दिनों बाद आँखें मेरी रोई है
ख़ामोशी की चिता पर
यादें तेरी सोयी है
तुमने सोचा मरघट हो गयी मै तो
तुमने जाना
अनगढ़ हो गयी मै तो
पर
इस अनगढ़पन मे भी
प्यार प्रतिमा तुम्हारी है
तुमने सोचा कब पाया तुमको
मैंने सोचा कब खोया तुमको
खोने पाने की गुन धुन मे
नेह लहर लहरायी है......
Bahut dino baad ankhen meri royi hai / khamoshi ki chita pr yaden teri
soyi hai / tumne socha mrghat ho gayi mai to / tumne jana angadh ho
\ gayi mai to / pr, is angadhpn me bhi / pyar pratima tumhari hai/
tumne socha kb paya tumko / maine socha kb khoya tumko / khone
pane ki gun dhun me neh lahar lahrayi hai.......
soyi hai / tumne socha mrghat ho gayi mai to / tumne jana angadh ho
\ gayi mai to / pr, is angadhpn me bhi / pyar pratima tumhari hai/
tumne socha kb paya tumko / maine socha kb khoya tumko / khone
pane ki gun dhun me neh lahar lahrayi hai.......
SUBLIME LOVE
All my extended affection
The brute world did prune !
How I panted under the unbearable
Prangs n suffocations !
MY LOVE !
The wearied wide of time
Surrounds me
My tired fingers are still
Searching the worth
In life.
.............And U met me today !
Your soft vouchafe
Did thrive my life
Never did I hanker after
Overpowering your heart
But would share your affection
The thirst prevailing
Life after life
Wish your sublime love
...................TO SING ME SOFT !
..............TO TENDER ME FAITH !!
जानती हूँ तुम नहीं आओगे किन्तु,
अपनी दहलीज पर खड़ी होकर
उस रास्ते की ओर देखती हूँ अपलक
जिससे कभी कभी तुम आ जाया करते थे
सूखी धरती पर शीतल छाया की तरह
किन्तु,
बीती बातों की तरह दिन
सारा गुजर जाता है रात को चूमती शाम भी
झुकती सी आ पहुँचती है
देहरी पर दीया जला
नित्य कर्मो की तरह मै
फिर तुम्हारी प्रतीक्षा में लग जाती हूँ
जानती हूँ
तुमने कोई वादा नहीं किया
कोई करार नहीं
फिर भी मेरा पागल मन तुम्हारी बाट जोहता रहता है
आँखें उनींदी हो जाती
रात की उदासी और गहरा जाती
सारा तन शिथिल पत्रांक पर पड़े
ओस कण की तरह ढुलक जाता है
मन मेरा तुम्हारे ख्यालों से परे
धकेलने लगता है
तुम्हारी यादों के बाहुपाश से अपने को छुड़ाने की
व्यर्थ चेष्टा करती हूँ
सबकुछ अचानक निरर्थक ,अर्थहीन
लगने लगता है ..
तुमसे दूर होने लगती हूँ कि फिर तुम्हारी बातें
मुझे अपने स्नेह के अंक में समेट लेती है
तुम्हारे प्रेम की सुखद छाँव में सो जाती हूँ
और फिर सुबह से वही प्रतीक्षा
वही क्रिया- वही रूटीन ....
आखिर क्यों...????????????
Tuesday, June 19, 2012
कुछ भी हाथ में आता है , मुठी से रेत की तरह ससर जाता है।..........
सोचती हूँ कुछ ,हो कुछ जाता है। कितना इम्तेहान लेगा भगवन तू !, एक घडी तुम पर विश्वास , हूँ घडी हो जाता है।.आस्ति नास्ति में डूबा मेरा मन ..हर सुबह कुछ नयी सी लगती है अगले पल सब कुछ बासी बासी ....सुबह होती है , शाम होती है ...उम्र यूँही तमाम होती है।.............
सोचती हूँ कुछ ,हो कुछ जाता है। कितना इम्तेहान लेगा भगवन तू !, एक घडी तुम पर विश्वास , हूँ घडी हो जाता है।.आस्ति नास्ति में डूबा मेरा मन ..हर सुबह कुछ नयी सी लगती है अगले पल सब कुछ बासी बासी ....सुबह होती है , शाम होती है ...उम्र यूँही तमाम होती है।.............
अहाँ ठीके बजने छलों
सपनाक गीत
जागल में नै गुनगुनाबी
इजोरियाक सिह्क्ब स कम्पित
नहि भ जाऊ
सिंगरहारि बसात में मोन के नहि
भट्काबी......
सपनाक ई गीत जिनगीक रौद में खंड खंड
भ जायत
इजोरियाक सिहरब नागफनीक
काँट जकां समस्त तन के
लहुलहुआन क' देत
सिंगारहारि बसात सँ
उपेक्षा क झोंक आबि जायत अछि
अहाँ संसार छी
जिनगी छी
हम सांस छी
स्वर्णिम किरण क आस छी..............
दिशाहारा ,कम्पित हवाओं का यह प्रकम्पन
रेत की बनती दीवारें
बालुओं पर लिखे ये आंसू गीत
क़र्ज़ धरा पर चढ़ा जाओगे क्या अपने ..?
मौन का संगीत कभी तुमने सहा है..
कभी झेला है...शिथिल पत्रांक पर पड़े
ओस विन्दु से नयन
अधरों के पाटल पर लेटी उदासी
रोम रोम से कम्पन की झेलती सर्वांग
की अंतर्धारा को तुमने समझा है ...............? ? ?
Akhir tumne pal kyon rakhe itne sapne ?
Dishahara , kampit hawaon ka ye prakampan
Ret ki banti deewaren
Baluon pr likhe ye aansu geet
Karj dhara par chadha jaoge kya apne ?
Moun ka sangeet kabhi tumne saha hai
Kabhi jhela hai ..Shithil ptrank par parhe
Os bindu se nayan
Adhron ke patal par leti udasi
Rom rom se kampan ki jhelati saewang
Ki antardhara ko tumne samjha hai......??????????
मै कोई ठूंठ दरख़्त नहीं हूँ
जिसमे ना हो जीवन की धडकन
वो टूटी शाख भी नहीं हूँ
जिस पे ना चहचहाना चाहती हो बुलबुलें
मै पतझड़ का ओ वृक्ष हूँ
जहाँ आशाओं कामनाओं की कोंपलें
जन्म लेती रहती है , प्यार के सावन को
तरसती रहती है
मुझे गुजरा वक़्त मत समझो जो
लौट कर आता नहीं , ना ही वो पथ्थर समझो
जिसे आवाजों के तीर बिंधते नहीं
मै बंजर नहीं ,जहाँ आशाओं की खेती होती नहीं है
मुझे लाश मत समझो
मेरी सांसे अभी भी चलती रहती है...
mai koi thhunthh darakht nahi hun / jisme na ho jiwn ki dhadkan / mai vo tuti shakh bhi na hun , jis pe na chahchahana chahti है bulbulen / mai patjhad ka vo vriksh hun jahan ashaon kamnaon ki konple jnm leti rahti hai / pyar ke sawn ko tarasti rahti hai / mujhe gujra waqt mt smjho ,jo laut kr aata nahi / na hi vo paththr samjho ,jise awajon ke tir bendhte nhi/mai banjar nhi jahan ashaon ki kheti hoti hi nahi / mujhe lash mt samjho , meri sansen abhi bhi chalti rahti hai.........
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