आशीर्वचन
प. हरिमोहबं झा
सौ. शेफालिका वर्मा के हम तहिये स जनैत छियेंह जहिया ओ दस-ग्यारह वर्षक बालिका छलीह . हुनक पीता ( बंधुवर श्री ब्रजेश्वर मल्लिक ) , ओ यदा कदा अपन रानीघाट लग निवास मे निमंत्रण देत रहैत छलाह ( जाहि मे षटरस ओ नवरस दुहूक समावेश रहैत छलैक ) . साहित्य गोष्ठी क परिसमाप्ति 'मधुरेण ' होइत छलैक.
ओही माधुर्यमय वातावरण मे मेधाविनी कन्याक प्रतिभा संस्कार विकसित होइत गेलैन्ह...आई ओ एक सुकुमार शब्द-शिल्पिनी कवियत्री -लेखिका क रूप मे विख्यात छैथ. हम हुनक 'स्मृति रेखा ' मे मर्मस्पर्शिनी भावुकता देखि शुभकामना प्रकट केने रहियेंह जे एक दिन ओ 'मैथिली क महादेवी ' रूप मे प्रसिद्द हेतीह, आय हुनक 'विप्रलब्धा मे भावनाक कोमलता करूँ रस्क परिपाक देखि ओ आशा पल्लवित भ गेल अछि. 'शेफालिका' अपन नाम सार्थक करैत निरंतर सिंगारहार क माला गुंथी वाणी देवीक मुकुट पर अर्पित करैत रहथु, इयह आशीर्वाद देत छियेंह .
मंगलकामना
मणिपद्म
एकटा सिस्कैत कवियत्री आ एकटा भावभिजल व्यक्तित्व हमरा बंगलाक सुप्रसिद्ध कवियत्री अरुदत्त आ तरुदत्त क झांकी भेटे लागैत अछि हिनक पाती सब मे ..
आर अधिक सफलता ,आर अधिक मंगल कामना क संगे..
बेहडा , १४. ७ ७७
अभिमत
आरसी प्रसाद सिंह
शेफालिका जीक कविता मे नवीनता क संग संग मौलिकता अछि. . समाजक बदलल परिवेश मे वर्तमान व्यक्ति केर मनोदशा , भावना एवं अनुभूति जाही प्रकारे प्रभावित भेल अछि से विप्रलाब्धाक कवयित्री द्वारा एकदम आधुनिक सन्दर्भ मे वाणी पाओल अछि. से ग्रंथक नाम विप्रलब्धा कोनो रीतिकालीन अतीतक खाहे जतेक विज्ञापन करओ ,मुदा ओकर प्रत्येक रचना अपन एक एक पाती मे युग बोधक अदम्य स्वर झंकृत क रहल अछि. की भाषा ? की भाव? दुहु मे शेफालिका जी क परतरी नहि !
एरौत ९.७.'७५
शुभेच्छा
डॉ. रामकुमार वर्मा
अखिल भारतीय मैथिली सम्मलेन, इलाहाबाद मे कवियत्री शेफालिका की प्रतिभा से मै जितना प्रसन्न हूँ उतना ही चकित भी हूँ. इतनी छोटी अवस्था में उन्होंने साहित्य में जो अंतर्दृष्टि पायी है वह उनके स्वर्णिम भविष्य की अग्र्सुचिका है. . उनके काव्य संग्रह 'विप्रलब्धा' का भावोत्कर्ष आज के नवयुग के कवियों के लिए अनुकरणीय है.
सम्मलेन के अधिवेशन में उन्होंने एक सर्वोत्कृष्ट सम्मान भी अर्जित किया, उन्हें डॉ. उमेश मिश्र स्मृत स्वर्ण-पदक से आभूषित किया गया . उनकी काव्य-प्रतिभा भविष्य में और अधिक सम्मान की अधिकारिणी होगी , इसमें कोई संदेह नहि.
मेरा उन्हें हार्दिक आशीर्वाद है की वे भारतीय साहित्य और संस्कृति में योग देकर और भी बड़े सम्मान और अलंकरण प्राप्त करें और हमारे देश और साहित्य को उं पर अभिमान हो..
साकेत. इलाहाबाद-२
विप्रलब्धा केर भूमिका
डॉ. केदार नाथ लाभ
श्रीमती शेफालिका वर्मा आधुनिक मैथिली कविताक पारिजात पत्र पर अंकित एकटा सिंदूरी हस्ताक्षर छैथ. जेना कारी कारी केश-जालक बीच श्वेत सिउंथ पर सिन्नुरक रश्मि-रेख अपन आलोक लोक सँ दीपित भ सहजहि सम्मोहक भ जायत अछि तहिना श्रीमती शेफालिका वर्मा अपन अंतर्मनक नील गगनक आर पार पसरल कोनो अतल-असीम वेदना व्यथाक घनखंडक मध्य अपन काव्यक रश्मि रागिनी आ ज्योति-ज्वार सँ सहजहि हिय-हारिल भ गेल छथि.
---------एहि दृष्टिये शेफालिका वर्मा क परिगणना ओहि स्कूल में हेतनि जकर विचार-धारणा श्री रविन्द्र नाथ ठाकुर प्रतिपादित करैत छैथ. वस्तुतः कला अथवा काव्य कविक मानसिक विलास अथवा बौधिक व्यायाम नहीं होइछ आ ने ओ कविक नैतिकता अथवा समाज शाश्त्रीयताक दार्शनिक अभिव्यक्ति होइत अछि. ओ त मात्र कविक विवशता थीक . कलाक माध्यम स कलाकार अपन शुद्ध व्यक्तित्व के निर्वस्त्र क दैत अछि , कविताक माध्यम स कविक अंतर्व्यक्तित्व निर्वसन भ जायत छैक. एक हद धरि कविता कवि क व्यक्तित्वक कृत्रिम खोल उतारि क ओकर रग रगक पारदर्शी रूप सभक समक्ष प्रस्तुत क दैत छैक.
--------प्रस्तुत कविता संग्रह ' विप्रलब्धा ' में संकलित कविता सभ शेफालिका जीक व्यक्तित्वक निरभ्र पारदर्शी रूप के हमरा सभक समक्ष सम्पूर्ण चारुता आ मनोग्यता क संगे प्रस्तुत करवा में सफल - समर्थ सिद्ध भेल अछि . ओस-विन्दुक अलस भार सँ सज्जित कमल-दल जकां ई कविता संग्रह हिनक वैयक्तिक अनुभूति राशि क कोमल,करुण ,सजल-तरल, सुकुमार संभार सँ सहजे रमणीय आ तलस्पर्शी भ गेल अछि . हिनक भाव बोधक क्षितिज अभिनव कलात्मकता क अरुणाभा सँ रंजित अछि. कथ्य्क संगे अभिव्यंजना क चारूत्व ,रूप-विधांक सौश्ठव आ चित्र धर्मिता जतवे चाक्षुष अछि ततवे भास्वरो. .
शेफालिका जी गीत अगीत ( मुक्त वृत्त में प्रणित काव्य ) दुनू प्रकारक काव्यक प्राणवंत कवयित्री छथि. हिनक काव्यक संसार गहन संवेदनाक माटि पानि सँ नमनीय आ रस-स्निग्ध तथा निश्छल अनिरुद्ध अभिव्यक्तिक सहजता सँ सुकुमार आ सुवासित अछि. हिनक काव्य में ' स्पर्शक गन्ध ' आ गंधक अनुभूति' अछि. एते 'आँचर में इन्द्रधनुष उतरल' अछि, कामनाक छाउर ' तथा ' मृत्युक महक --------
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