जिंदगी यायावर हो गयी है --सबेरे सबेरे छत को देखना --मेरी ही छत है ये ?-- मै अपने ही घर में हूँ ? --घर क्या --एक कमरा मेरा अपना - यादों भरा एक पलंग -- प्यार एहसास भरे उपहार -- टी वी, स्नेह से ओतप्रोत एक लैपटॉप अनगिन संदेशों से भरा एक मोबाइल और बिस्तर पर पड़े कागजों की ढेर --लिखे -- अधलिखे -जन्मे अजन्मे भाव-शिशुओं का कलरव --मेरे होने का एहसास दिलाता --मेरे अस्तित्व को झकझोरता -- यादों की तस्वीरें मेरी रूह को कँपकपाती --हाथ पैर मारते छटपटाते मेरे शब्द विकल ---क्या ये मै हूँ --- डबडबाई आँखों में सपनो की किश्तियाँ --कितने सवाल --कितने प्रहार-- निरंतर मेरे सामने सर झुकाए--- उत्तर के लिए बेकल---जो कुछ घटता मन की तहों में घटता …अंतहीन निःशब्द…… …और मेरी साँसे हैं कि खत्म नहीं होती ----… .….
Zindagi yayawar ho gayi hai --sabere sabere chhat ko dekhna - meri hi chhat hai ye ? ..mai apne hi ghar me hun ?- ghar kya - ek kamra mera apna --yadon bhara ek palang -- pyar ehsas bhara ek t v --kisi ke sneh se otprot ek laptop , angin sandeshon se bhara ek mobile aur bistar pr parhe kagzon ki dher --likhe anlikhe --jnme ajanme bhaw shishuon ka kalraw --mere hone ka ehsas dilata --mere astitw ko jhakjhorta --yadon ki tasweeren meri rooh ko knpknpati -- hath pair marte mere shabd vikal -- kya ye mai hun --dabdabaayi ankhon me sapno ki kishtiyan ----kitne sawal kitne prahar nirantar mere samne sar jhukaye --uttar ke liye bekal -- jo kuchh ghatataa mnn ki tahon me ghatata anthin -- nihshabd ....aur meri sanse hai ki khatm nhi hoti --anthin - nihshabd---......
No comments:
Post a Comment