Tuesday, January 22, 2013

कविता की झंकार


अपने अपने दर्द अपने अपने गीत हैं एक साज़ पर बजता ये संगीत है 
सभी अकेले चलते हैं , यादों की बारात लेकर , अपनी भूख अपनी प्यास लेकर 
कवि  नही चलता अकेला ,उसके साथ कविता की झंकार है
मुस्काती ,हाथ थामे ज्यों काँटों के बीच गुलाब है .....
 
Apne apne dard apne apne git hain / sabhi akele chalte hain / yadon ki barat lekr  ,apni bhukh apni pyas lekr / kavi nhi chalta akela , uske sath kavita ki jhankar hai / muskati ,hath thame jyon kanto ke bich gulab hai.....

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