ख्वाब तो ख्वाब होते हैं ,
सांसों के तार तार में सजे रहते हैं।।।
हम शब्दों के चितेरे हैं , जो भाव प्रवण होते हैं
खींच लेते अपने शब्दों से शब्दों को पास ,
शब्दों में ही मन अकुलाता है ,
फिर बेचैनी भर जाती है ,
छटपट करते कागज पर बिखर जाते हैं........
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