इन आँखों में नींद नहीं
सजन
तुम पलकें बंद कर दो
युग युग से है थकी निगाहें
जीवन की सांसे जीती
उन्मीलित नैनों में सपनो के मोती चुनती
इन अधरों में है प्यास भरी
अधरों को अपने रख दो.
पलकें जब भी बंद करती हूँ
छवि तुम्हारी आ जाती है
देह गेह में मधु दर्द भर
मुझको पास बुलाती है
इन साँसों में है धूप भरी
सजन तुम छाहर कर दो
( ठहरे हुए पल से )
सजन
तुम पलकें बंद कर दो
युग युग से है थकी निगाहें
जीवन की सांसे जीती
उन्मीलित नैनों में सपनो के मोती चुनती
इन अधरों में है प्यास भरी
अधरों को अपने रख दो.
पलकें जब भी बंद करती हूँ
छवि तुम्हारी आ जाती है
देह गेह में मधु दर्द भर
मुझको पास बुलाती है
इन साँसों में है धूप भरी
सजन तुम छाहर कर दो
( ठहरे हुए पल से )
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