ई सांच अछि जे हमर कविता में रोटी कपडा
मकानक समस्या नै अछि , गरीबी , बेरोजगारी भूखमरी क भावक अभाव अछि। , हम
सुखक अभाव दुःख नै बुझैत छि। , दुखक अभाव सुखो नहि , दुःख हमर जीवनक
स्पन्दन थीक --दुःख कलाकारक मोक्ष होइत अछि - कोनो कलाकार जाधरि अन्तस्तल
सं दुखक भाव कें आत्मसात नही करैत छैथ ,ताधरि हुनक रचना प्राणविहीन प्रतिमा
, संवेदनहीन रचना रहैत अछि . दुःख तं जीवन थीक , अवसाद अन्धकारक अभिशाप
नहि हम मानवता के दुखक माध्यम स जानवा लेल चाह्लों। दुःख मानवक ह्रदय
अन्धकार सं नही भरैत छैक ,वरन प्रकाशक आलोक लोक सं दीपित क' दैत अछि
ज़ाधरि मानव लेल करूणाक महत्व रहत ताधारी जीवन दुखक आलोक में चलैत रहत
DHANYWAD ANANT
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