अहाँक ओ अधर स्पर्श !
मोन-प्राण के कविता बनाय गेल
अधरक गुलाब विहुंसी गेल
ठोर हमर गुलाब बनि गेल
सूखल जीवन
प्रेमक रंग स रंगी गेल
तनक हरीतिमा मिलन गीत गाबि गेल
मोनक मोर नाचि गेल
मुदा
बंद पलक अचकहि खुजि गेल
निन्न टूटी गेल
गुलाबक पंखुरी झरि झरि
धरती पर खसि गेल
अहाँ कतोउ नहि छलों
कत्तो नहि
किन्तु,
प्रकृतिक कण कण अहाँ कें धारण केने
नाचि रहल छल
हम नमित भ उठलौं ........
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