.खिड़की से झांक रहे थे हम तुम
बारिश हो रही थी
कोई वृद्ध दम्पत्ति
एक छाते के तले
फूल तोड़ते सैर पर जा रहे थे
तुम ने कहा था
देखती हो
हम तुम जब बूढ़े हो जायेंगे
तो ऐसे ही बारिश में छाते लेकर
सैर करेंगे
और मैंने मचलते हुए कहा था ---
साथ ही गायेंगे –
प्यार हुआ इकरार हुआ
किस तरह शिशु की तरह
खिलखिला उठे थे तुम
किन्तु वो दिन आया ही नही
तुम्हे जाने की जल्दी जो थी ....
बारिश हो रही थी
कोई वृद्ध दम्पत्ति
एक छाते के तले
फूल तोड़ते सैर पर जा रहे थे
तुम ने कहा था
देखती हो
हम तुम जब बूढ़े हो जायेंगे
तो ऐसे ही बारिश में छाते लेकर
सैर करेंगे
और मैंने मचलते हुए कहा था ---
साथ ही गायेंगे –
प्यार हुआ इकरार हुआ
किस तरह शिशु की तरह
खिलखिला उठे थे तुम
किन्तु वो दिन आया ही नही
तुम्हे जाने की जल्दी जो थी ....
बहुत मर्मस्पर्शी...
ReplyDeleteapko dekha kailash ji bahut achha lga..abhar apka....
DeleteAaj apki ek kavita padi jo dil ko chu gai.Apki aviwaykti bahut Marmsaparshi hi di luv u
ReplyDeletebahut abhar kiran ji , kavita kisi ke dil ko chhu le to kavita to sarthk hoti hi hai ...
Deletekavi bhi sarthak ho jata hai .
aap jaisi gungrahikta ko anany pyar abhar ashesh ....
bahut abhar kiran ji , kavita kisi ke dil ko chhu le to kavita to sarthk hoti hi hai ...
Deletekavi bhi sarthak ho jata hai .
aap jaisi gungrahikta ko anany pyar abhar ashesh ....