अमा की कालिमा को हरने दीपों की पाती जगमगा उठी
जैसे खुशियों के सैलाब
गमो के पहाड़ से
फूट पड़े हैं .
ये दिवाली आती जगमगाती
दिलो को रोशन करती
उम्मीदे कितनी जगाती.....
भूल जाओ अपनी व्यथा को
राग भरो अनुराग भरो
जन जन में अनुपम सौहार्द्र भरो..
धरती पर जितने दीप जले
उतनी ही खुशियाँ तुम्हे मिले .
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